धनबाद : आज़ादी के 75 वर्षों के बाद भी धनबाद जिला के गोविंदपुर प्रखंड के सबसे सूदूरवर्ती आदिवासी बहुल मरिचो पंचायत के बेहराडीह मौजा के ग्रामीण लालटेन- ढीबरी जलाकर जीने को मजबुर है , बिजली की पहूंच नहीं रहने से बच्चों की पढ़ाई बाधित रहती है, वहां पर पानी की सुविधाएं नहीं हैं, रास्ते का सुविधाएं नहीं है,
21 वर्ष के झारखण्ड में 11 मुख्यमंत्री आये लेकिन समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई है सरकारें आईं और चली गई लेकिन जनता आज भी अपने आप को ठगा महसूस कर रही है, ग्रामीणों का है कि सभी नेता चुनावों में बढ़ चढ़ कर वादा करते हैं ग्रामीण आशा के साथ वोट करते ताकि अपनी गांव में बिजली जैसी मुलभूत सुविधाओं का समाधान हो सके, लेकिन विकास की बातें तो सिर्फ भाषण तक ही सिमट कर रह गई है ग्रामीणों के माध्यम से सूचना मिलते ही मरिचो पंचायत के युवा क्रांतिकारी सामाजिक कार्यकर्ता रंजीत कुमार महतो के द्वारा मामले को संज्ञान में लेकर बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता गोविंदपुर डिवीजन धनबाद कार्यालय, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड,और संबंधित उच्च अधिकारियों को ग्रामीणों के द्वारा लिखित आवेदन देकर बिजली बहाल करने के लिए प्रयास किया गया है , रंजीत कुमार महतो का निरंतर प्रयास कि की सरकारें जागें , सरकारी अधिकारी समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और मूलभूत सुविधाओं का समाधान हो ताकि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो।

आपको जानकर हैरानी होगी जो जिला की कोख से निकली खनिज संपदा से पूरा देश को रोशनी से रौशन करता है उसी जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अंधेरा कायम है। ये इलाका आखिर कब जगमगाता है ये भी देखना बड़ा दिलचस्प होगा।
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