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Tuesday, October 3, 2023

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झारखण्ड : धनुष टूटा तो टूट गया सपना, चाय बेच चुका रहीं ऋणराष्ट्रीय तीरंदाज बेच रहीं चाय…

रांची: झारखण्ड सरकार खेल और खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने की बात हर मंच पर करती है लेकिन जमीनी हकीकत इससे बेहद परे है।इन दिनों खबरों की सुर्खियों में नेशनल स्तर आर्चरी प्लेयर की चाय बेचने की बात सामने आने के बाद सरकार की चौतरफा किरकिरी हो रही है.

टैलेंट रह गया पीछे, ऋण चुकाने के लिए सड़क पर चाय बेचना हो गया मजबूरीरांची अरगोड़ा चौक पर सिंपल सा समोसा चाय की दुकान है। इधर से गुजरेंगे होंगे तो कभी चाय पीए होंगे। यह चाय की दुकान किसी सामान्य व्यक्ति की नहीं है। यह आर्चरी खिलाड़ी दीप्ति कुमारी की है। वह चाय बेच बैंक का ऋण चुकता कर रही हैं। खिलाड़ियों की धरती झारखंड में जमीनी खिलाड़ियों का यही हाल है।

दीपिका से प्रेरित होकर धनुष थामने वाली दीप्ति 2013 में कोलकाता में साईं सेंटर में वर्ल्ड कप कैडेट ट्रायल में भाग लेने साढ़े चार लाख बैंक से ऋण लेकर धनुष खरीदा था। ट्रायल में भाग लिया। उसी दौरान एक रात में कमरे में धनुष रखा और सुबह देखा तो टूटा हुआ था। टूट गया या तोड़ दिया गया, पता नहीं चला। इसी के साथ यूएसए जाने का सपना भी टूट गया। लोहरदगा के राजा बंगला की रहने वाली दीप्ति कहती हैं, मां ने बैंक से ऋण लिया था। इसके बाद दूसरी जगहों से भी तीर खरीदने के लिए समय-समय पर साढ़े तीन लाख ऋण लिया।

अब ऋणु चुकता करने का इतना दबाव है कि आखिर चाय बेचनी पड़ रही है। माता-पिता रहते हैं बीमारपिता बजरंग प्रजापति कहते हैं कि दीप्ति को आगे बढ़ाने को लेकर उन्होंने जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगाई थी, परंतु किसी ने मदद नहीं की। वे पहले खेतीबारी करते थे। अब बीमारी ने उन्हें भी तोड़ दिया है। मां भी बीमार रहती हैं। छोटा भाई है, जो पढ़ाई कर रहा है। मां ठीक थी तो वह दुकान संभालती थी। स्कूल से लेकर नेशनल स्तर पर जीत हासिल करने वाली दीप्ति कहती हैं, सरकार कोई मदद नहीं की। सीधी नियुक्ति की एक आस थी.

सरकार ने इस आस को भी तोड़ दिया तो चाय बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। सो, पिछले एक साल से दीप्ति ही चाय की दुकान संभाल रही हैं। प्रतिभावान खिलाड़ियों का यह हाल अपने राज्य में है। झोली में पदकों की भरमार, बंबू धनुष से प्रैक्टिसदीप्ति की झोली में पदकों की भरमार है। 2006 से 2022 तक दर्जनों राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धाओं में पदक हासिल की। जयपुर में ओवरआल चैंपियन बनकर आईं। स्कूल से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं। दीप्ति के पास इतना पैसा नहीं है कि वह धनुष खरीद सकें.

उन्होंने मणिपुर से बंबू का धनुष मंगाकर अपना प्रैक्टिस कर रही हैं। दूसरों को भी तीरंदाजी का गुण सिखा रही हैं। हालांकि उनकी बहनें भी डाली कुमारी, मोनिका कुमारी भी तीरंदाज हैं। डाली आर्चरी में नेशनल खेल चुकी हैं। मोनिका और विकास ने स्टेट लेवल की कई स्पर्धाओं में पदक जीता है। दीप्ति कहती हैं, चाय से घर का खर्च चलाएं, मां-पिता की सेवा करें या प्रैक्टिस करे।

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