कुदरती आपदा
से प्रभावित परिवारों को राहत देने में पुरानी नीति में कई व्यावहारिक दुश्वारियां आ रही थीं। इसे दूर करने के लिए आयुक्त कुमाऊं मंडल की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी।
कुदरती आपदा से प्रभावित परिवारों को राहत की राह आसान हो गई है। सरकार ने पुनर्वास एवं विस्थापन नीति के मानकों में संशोधन किया है। नीति में परिवार की परिभाषा में बदलाव किया गया है। प्राकृतिक आपदा से प्रभावित उस परिवार को अलग इकाई माना जाएगा, जिसका परिवार रजिस्टर में नाम होने के साथ अलग राशन कार्ड है

कुदरती आपदा से प्रभावित परिवारों को राहत देने में पुरानी नीति में कई व्यावहारिक दुश्वारियां आ रही थीं। इसे दूर करने के लिए आयुक्त कुमाऊं मंडल की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। समिति के सुझावों के आधार पर संशोधित नीति का शासनादेश जारी किया गया है
नई नीति में विस्थापित होने वाले परिवारों को यथासंभव अब उनकी पैतृक भूमि के आसपास ही बसाया जाएगा। इससे वे अपनी खेतीबाड़ी और परंपरागत व्यवसाय सुचारु रूप से कर सकेंगे। इसके अलावा पुनर्वास योजना बनाते समय प्रभावित परिवारों को विश्वास में लिया जाएगा।

योजना के हर भाग में उनकी सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। विस्थापित होने वाले परिवारों की सूचनाएं दर्ज की जाएंगी। इसमें परिवारवार सूची, प्रभावित क्षेत्र में स्थायी रूप से निवास व व्यवसाय करने वाले प्रभावित परिवारों के मुखिया का नाम, प्रति परिवार सदस्य संख्या, स्थायी निवासी एवं व्यवसाय, जाति, आधार नंबर, भूमिहीन परिवारों की संख्या, वार्षिक आय और संपत्ति का ब्योरा दर्ज किया जाएगा।

जिलाधिकारी की ओर से पुनर्वास के लिए चिह्नित परिवारों की सहमति या असहमति प्राप्त की जाएगी। लिखित सहमति वाले परिवारों के तुरंत पुनर्वास की कार्यवाही शुरू की जाएगी। नई नीति के तहत विस्थापन के लिए सुरक्षित वन भूमि ली जा सकेगी। इसके एवज में असुरक्षित भूमि वन विभाग को हस्तांतरित की जाएगी। विस्थापित किए गए परिवारों के मूल निवास स्थान को असुरक्षित घोषित करने के साथ ही भवनों व अन्य अवसंरचनाओं को गिरा दिया जाएगा। ताकि भविष्य में किसी प्रकार की दुर्घटना की आशंका न रहे। साथ ही चिह्नित असुरक्षित भूमि को नियमानुसार राजस्व या वन विभाग को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।

संशोधित नीति की खास बातें
- भवन निर्माण के लिए चार लाख रुपये दिए जाएंगे।
- कृषि भूमि के स्थान पर बंजर भूमि दिए जाने की स्थिति में उसके सुधार के लिए प्रति हेक्टेयर 15 हजार रुपये दिए जाएंगे।
- कृषि व बोझा ढोने वाले जानवरों के स्वामित्व वाले विस्थापित परिवारों को पशुओं के लिए गौशाला निर्माण के लिए 15 हजार रुपये दिए जाएंगे।
- विस्थापन भत्ते के रूप में दस हजार रुपये अलग से दिए जाएंगे।
- पुनर्वासित होने वाले ग्रामीण दश्तकारों को अपना स्वयं का व्यवसाय पुनर्वास के स्थान पर आरंभ करने के लिए 25 हजार रुपये दिए जाएंगे।
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News4public के लिए Payal arora की रिपोर्ट :-




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