मध्य प्रदेश में एक शख्स ने राज्य की शिवराज सिंह चौहान की सरकार में 10 हजार करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है। यह मुआवजा इस वजह से मांगी गई है कि उसे दो साल तक गैंगरेप के एक मामले में जेल में बंद रहना पड़ा और आखिरकार पुलिस गुनाह साबित नहीं कर पाई और वह अदालत से बरी हो गया.
अदाल में क्षतिपूर्ति याचिका दायर करने वाले आदिवासी शख्स का कहना है कि 6 लोगों के परिवार में वह अकेला कमाने वाला इंसान है। वह जेल में रहा तो परिवार की ऐसी हालत हो गई कि अंडरवियर खरीदने तक के पैसे नहीं थे। अब वह सरकार से जेल में कटने वाली हर दिन का हिसाब मांगा है। लेकिन, इनमें से पूरे 10 हजार करोड़ रुपए सिर्फ उस उपहार के बदले है, जो भगवान ने हर इंसान को दिए हैं, यानि यौन सुख; और उसे जेल में होने की वजह से इससे वंचित रहना पड़ा है।
टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के रतलाम में पिछले साल अक्टूबर में एक आदिवासी शख्स जेल से बाहर निकला है। 35 साल का कांतिलाल भील ऊर्फ कांतू गैंगरेप के आरोपों में जेल में बंद था। अदालत ने उसे इस आरोप से बरी कर दिया। लेकिन, अब उसका कहना है कि ‘झूठे’ आरोपों में जेल में बंद रहने के चलते उसकी जिंदगी तबाह हो गई है। जेल में उसे जैसे दिन गुजारने पड़े हैं, वह उससे अभी भी नहीं उबर पा रहा है। उसने कहा है कि, ‘जेल की कठिनाइयों ने मुझे हमेशा के लिए सिरदर्द दे दिया है, जो कि रिहाई के बाद भी मुझे परेशान करता है।’