श्रीलंका की इकोनॉमी इतनी चौपट हो गई है कि यहां की सरकार के पास चुनाव कराने तक के पैसे नहीं हैं. कम से कम मीडिया रिपोर्ट में तो ऐसा ही कहा जा रहा है.
. 9 मार्च को स्थानीय चुनाव शेड्यूल थे, लेकिन सरकार के पास बैलट पेपर प्रिंट कराने के पैसे नहीं है. श्रीलंका में बैलट पेपर से ही चुनाव होते हैं, और कहा जा रहा है कि इसकी प्रिंटिंग में भारी खर्च आता है. दूसरी तरफ यह भी आरोप लग रहे हैं कि विक्रमसिंघे जानबूझकर चुनाव में देरी कर रहे हैं
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 9 मार्च को होने वाले चुनाव से रानिल विक्रमसिंघे का रिजल्ट साफ होना है. मसलन, पिछले साल जुलाई वह भारी विरोध की वजह से राजपक्षे परिवार के सत्ता छोड़ देश से भागने के बाद वह राष्ट्रपति चुने गए थे. इस दौरान उनका खूब विरोध भी हुआ था. चुनाव आयोग ने कोर्ट में एक हलफनामा दिया है, जिसमें आयोग ने दावा किया कि ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने बैलट पेपर की प्रिंटिंग, ईंधन और पुलिस बलों पर होने वाले खर्च के लिए फंड नहीं दिए.